मानसून सत्र के लिए राजदरबार सज चुका था। डंकाधीश महाराज धृतराष्ट्र 56 इंच वाली राजगद्दी पर अपनी तशरीफ़ को रख चुके थें।
वोट चोरी का सरताज पहने दुर्योधन भरी सभा में द्रौपदी के चीरहरण के बदले दरबार में प्रमोशन पाकर ऊंचे सिंहासन पर आसीन था और उसके सामने बैठे, मॉरल ब्रांड का फटा कपड़ा पहने, भीष्म पितामह जनता की शिकायती फ़ाइलों को पेश करने के लिए तैयार थें।
सभा का आगाज़ हुआ, चीफ ऑफ स्टाफ संजय ने डंकाधीश को हस्तिनापुर की बदहाली का अपने प्राइम टाइम वाले अंदाज में इतना मनमोहक आंखों देखा हाल सुनाया कि डंकाधीश के एंटी नेशनलिस्ट शत्रु - बेरोजगारी, भुखमरी, महंगाई, हत्या और गरीबी - इन सब का दुख और बढ़ गया। इन्हें उम्मीद थी कि इस बार दरबारी प्राइम टाइम में इन्हें कवरेज मिलेगी लेकिन दुखद कि ऐसा नहीं हुआ, अब वे पाकिस्तान जाने का मन बना चुके थें।
प्राइम टाइम खत्म होने के बाद राजदरबार की कार्यवाही शुरु हुई, भीष्म पितामह जनता की समस्याओं का पिटारा खोलने ही वाले थे कि इतनी देर में गुरु द्रोणाचार्य के रोने की सिसकियां सभा में सुनाई देने लगीं।
डंकाधीश धृतराष्ट्र के पूछने पर गुरु द्रोणाचार्य ने बताया कि वे कौरवों और पांडवों के वीडियो गेम खेलने की आदत से बहुत परेशान हैं। चिड़िया की आंख में निशाना लगाने वाला अर्जुन अब ऑनलाइन एविएटर उड़ाता है, धर्मराज युधिष्ठिर अब शकुनि के साथ मिलकर ऑनलाइन लूडो खेलते हैं।
गुरु द्रोणाचार्य ने रोते हुए सभा के समक्ष वीडियो गेम को हस्तिनापुर में पूरी तरह बैन करने का प्रस्ताव रखा। इतनी ही देर में दुर्योधन ने चोरी छिपे अपनी महिला मित्र मैडम टुनटुनवाला को वॉट्सएप मैसेज भेज सभी वीडियो गेम्स बेच देने का संदेश पहुंचाकर अपना मित्रधर्म निभा दिया।
इधर सभी दरबारियों ने ध्वनि मत में इस प्रस्ताव को अपनी सहमति दे दी, गुरु द्रोणाचार्य की आंखों में अब खुशी के आंसू थे।
चीफ ऑफ स्टाफ संजय ने डंकाधीश की अंतिम मंजूरी के लिए उनके सामने प्रस्ताव पत्र रख दिया। डंकाधीश इस बात से बहुत खुश थे कि इस मानसून सत्र में भी भीष्म पितामह जनता की शिकायतों को नहीं पेश कर सके।
डंकाधीश ने प्रस्ताव पत्र पर अंगूठा टेक कर वीडियो गेम्स बैन करने को मंजूरी दे दी और अपने 56 इंच वाले राज सिंहासन से उठ खड़े हुए और सत्र समाप्ति की घोषणा करते हुए बोलें, "मित्रों, ना मैं खेलता हूँ, ना किसी को खेलने देता हूँ।"
इधर प्राइम टाइम में कवरेज ना मिलने से दुखी डंकाधीश के सभी एंटी नेशनलिस्ट शत्रु बेहद दुःख के साथ अब पाकिस्तान जाने के लिए अपना बोरिया बिस्तर बांधने लगे।
वीडियो गेम्स बनाने वाले लोग अब हस्तिनापुर की सड़कों पर खाक छानते हुए डंकाधीश की रैलियों में अपना योगदान देने लगे।
डंकाधीश और दरबारियों के इस एक मास्टरस्ट्रोक से जनता की सभी समस्याओं का तत्काल समाधान हो गया और हस्तिनापुर फिर से विश्वगुरू बन गया।
© डंकाधीश का एक परम भक्त